Tamasha movie monologue,
Best Dialogue in tamasha,
फ़िर क्या हुआ ?
होना क्या हे ?
वही कहानी फ़िर एक बार, मजनु ने लिये कपडे फ़ाड मार तमाशा बिच बाजार.
रुक के सोचा एसा क्यु ?
एसा,वेसा,जेसा,तेसा,पेसा.
Tamasha movie monologoue |
पेसा... पेसा ना होता तो फ़िर केसा होता ?
सोचो.......
अरे छोडो बोरींग बाते सारि,
मस्त रहो, जमके खाओ
लेलो पंगे, चड्लो सुली
फ़ाड्लो कपडे, खोल दो बंधन
घॊल दो लस्सि, बोल दो किस्सा
सभि जनॊ का दिल बेह्लाओ
शोर मचाओ मारो ठुमका.
फ़ेक बिखेरो मन की चांदि, दिल का सॊना
आंख के मोति, सब आरपित हे.........
आप के खातिर.
मे नोकर हु आपका मालिक
टाय पेहनकर लिफ़्ट मे चढ़्कर
फ़िर आउंगा आपके आंगन
वही करुंगा, जो रोज किया हे,
वो फ़िर से करुंगा, फ़िर से करुंगा, फ़िर से करुंगा
आच्छा बेटा... कभि ईधर तो कभि उधर ,
अंदर क्या हे? अंदर क्या हे?
कोनसे रंग का दिल हे तेरा क्या चाहता हे?
बोलो...... जवाब दो.
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